दिनकर ना होता ,अँधेरा ही रहता ,
गहरी निशा की सुबह भी ना होती --------------
आहें ना होती ,दुआ भी ना होती ,
गम -ए-जिंदगी में ,हया भी ना होती ,---------
टूट जाता ह्रदय ,बे आवाज होकर ,
वफ़ा जिंदगी में ,बेवफा भी ना होती ,--------
आँचल ना होता ,सदायें ना होती ,
जख्में जिगर में ,दया भी ना होती /-------------
मुकम्मल जहाँ क्या मिला है किसी को ?
रुखसत हुये पल, ना लौटे कभी को ,
खता जो ना होती , सजा भी ना होती ,
परवाने ना जलते ,शमा जो ना होती ,----------
मंजिल ना होती ,मुशाफिर ना होते ,
दास्ताँ जिंदगी की उजागर ना होती ,----------
क्या होता उदय, तेरी हाल-ए -मुफ़लिसी का ,
रब्बा तेरे घर में , क्षमा जो ना होती /---------
उदय वीर सिंह .
१६/११/२०१०
1 टिप्पणी:
खूबसूरत रचना ..
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