बुधवार, 10 नवंबर 2010

सिमरन

प्राप्त करना है लक्ष्य ,जाना होगा आराध्य -स्थल ,
करनी होगी याचना  ,
चढ़ानी  होगी भेंट  ,जो   देवों को स्वीकार्य हो /
वर पाने कि शर्त -----समर्पण  !
मन का , तन का , हर फन   का  /
अपना विशिस्ट ,सर्वोत्तम , दे   सको ,
प्रचुरता वर,  की   उतनी    होगी  /----- 
भैरवी बनना होगा सिमरन !मेरे अस्तित्व  हेतु ,
जिसमें   तेरी शिखर- सफलता  बसती   है /
बनेगी नायिका, मेरे अतुल्य साम्रज्य की   /-----------
      प्रभु के -सूत्र वाक्य  सिमरन को प्रेरित करते हैं  /
      संकल्पित हो चल पड़ी  /---
सिमरन जा रही सिमरन को ,
प्रभु को लिए साथ,  बन   प्रभु का साधन  ,
निहित स्वार्थ ,मह्त्वाकंक्ष्छा   की पूर्ति  ,
संकल्पित ,न्योछावर को तत्पर  ,स्वयम को   /---
      यज्ञ वेदी , आहुति ,हवन -सामग्री ,सकल- प्रबंध ,  सम्प्पन्न  /
सजाये थाल  ,अनंग -श्रृंगार ,उदीप्त- देह,  त्रुटिहीन, अर्चन विधि  ,
पूर्णता का प्रयास /
प्रयोजन ,निष्फल स्वीकार्य नहीं  !  ,अटल ,संकल्प ! 
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प्रारंभ यज्ञ ----------
सम्पन्न !
दहकती ,हवन कुण्ड,की प्रचंड -अग्नि ,शांति की ओर  ------
देवों ने दिया अधुरा वर  /
दे शर्त !
भैरवी !पूर्णमाशी  की  की जाई हो  ! अमावस्या की नहीं !
पुनः करो प्रयत्न !
प्रसाद में मिली राख़  ! ,मलने को तनपर  /
सम्पूर्ण वर हेतु  नए सिमरन की तलाश !
बदलना होगा साधन !
प्रभु का आदेश -------------
सिमरन !    जाना होगा तुम्हें !
लक्ष्य -प्राप्ति में साधन स्थायी  नहीं होते   /
जितना आवश्यक उतना सम्मान ,
वांछित नहीं होते ,व्यर्थ  सामान  /
फेंक दिए जाते हैं !  -----
सिमरन !
क्षमां करना  !   
मेरी ,  मजबूरी  है  /-----

                                                   उदय वीर सिंह 
                                                   १०/११/२०१०











 

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