सच होते तो, क्या कहने ------------
ह्रदय- ह्रदय में अमृत -धारा ,
बह जाती तो क्या कहने ---------------
अपनी पीर परायी होती ,
पर- दुःख, आंख भर आयी होती /,
आह भरी रातें ना होती ,
रोटी भूख घर आयी होती /
निर्भय ,भेद रहित खुशहाली ,
आ जाती तो क्या कहने ---------
शांति- अमन संक्रामक बनते ,
आशीष ,प्रेम आक्रामक बनते ,/
बोझ मिले जो सर्वहितकारी ,
हर कंधे, मिल धावन बनते /
सांझी आंख ,फतह सांझी हो ,
सुख -दुःख साँझा तो क्या कहने ,----------
संयम ,धैर्य, चिंतन, सब लेके ,
प्रीत, वैर घर आयी होती /
इश्वर एक ,हरेक में बसता ,
मानव - रीत निभाई होती /
निस-वासर ज्योति रहे महलों में ,
हर घर हो रोशन क्या कहने /------------
उदय वीर सिंह .
५/११/२०१०
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