स्वागतम ,श्रीमान ,
प्रणाम , महर्षियों के देश में ,
आगमन प्रतीक्षित, ,शक्तिशाली देश के नायक का ,
संभव हुआ /
उपकार सा लगता है आपका आना ,
विशाल हृदय ,व्यापारी बन /
बेचने आये विदेशी सामान ,गाँधी के स्वदेशी ठांव में,
'भविष्य का बाज़ार है ' ,भारत महान,
सीमा बता दी आपने, हम उपभोक्ता हैं !
आप निर्माता ,विद्वान ,संचालक ,दे सकने वाले /
लेने को आतुर ,
खड़े हैं ,प्रतीक्षा में ! प्रद्योगिकी ,प्रबंधन,प्रशिक्षण !
जो हमारे खून में प्रचुरता से पाई जाती है /
क्यों कि हम जगद्द्गुरुओं के वारिश ,
बोई फसल भी ना काट सके /
'ठंढा पानी-चुपड़ी रोटी' का भोग लगाते रहे ,
जीते रहे विस्वास में ,
कोई ओबामा आयेगा ,बनाएगा सिरमौर स्वतः ,
अवतार का भ्रम ,संजोया मन /
खोते रहे संघर्ष , बोते रहे घृणा ,
डूबते रहे चुल्लू भर पानी में /
बिना प्रयत्न ! पाएंगे रत्न ?
कैसे ?
ये भी शायद श्रीमान ,!समझायेंगे ?
जो खुद बचाने को साख , टूटता जनाधार ,
पीड़ित ,मंदी की मार ,नस्लियता का दंश ,
दिवालिया होता अर्थ तंत्र ,संस्कार में सूनापन ,
ह्रदय बेचैन ! उपचार कहाँ ?
यंहां !
औषधि ढूँढने आये हैं ?
स्वागतम! विशाल -हृदय परिवेश में /
महर्षियों के देश में /
कर हम अतीत को याद, वर्तमान संवारेगे ,
कर लेंगे भविष्य सुनिश्चित /
चल पड़े हैं संकल्प ले /
कर लेंगे अनेकों अमेरिका का निर्माण /
सरदार बनेंगे युग का ,
हास्य -व्यंग का पर्याय नहीं होंगे /
अतिथि का सम्मान करना आता है ,करेंगे सम्मानित ,
पर" सम्मान की कीमत पर ना हो अपमानित " /
सूत्र वाक्य है ! स्मरण करना होगा ,
हम वारिस हैं - देव- ऋषियों के देश के /
उदय वीर सिंह
७/११/२०१०
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