शिखर से !
समुचित भण्डारण के अभाव में सडा /
कार्यवाही होगी /
चढ़ा मूल्य आसमान पर ,
केशर की तरह / ,सूंघें या खाएं ?
अमूल्य दर्शन !,
बजट अनियंत्रित , सरकार की तरह ,
खरीदें या देखकर ही हो लें संतुष्ट /
दुष्ट मन नहीं मानता ,
दास तृष्णा का , स्वाद का /
ख़रीदा चार नग ,
पारदर्शी थैले में ले आया ,
ऊँची बांह कर /
देख ले जमाना !
हम भी खरीद सकते हैं प्याज /
नेताओं, पूंजीपतियों, अफसरों की तरह /
दुर्भाग्य !
रास्ते में मिले उचक्के ,
मारा झपट्टा ,
फटा थैला ,
दो ले गये , दो गिरे जमीन पर /
उठाया दुखी मन ! क्या ब्यवस्था है /
लाया घर , 'तरन ' बोली ------
एक दे आओ, लंगर के लिए /
बचा एक रसोई के लिए /
आँखों से आंसू निकल रहे हैं ,
उसके भी !,
मेरे भी !
वह काट रही है ,
मैं कोस रहा हूँ /
ब्यवस्था को ,महंगायी को /
प्याज जी आना मेरे देश ---------- /
उदय वीर सिंह
२३/१२/२०१० ,
2 टिप्पणियां:
अब तो बाजारीकरण के साथ ही प्याजीकरण भी हो गया है ...सटीक और सार्थक लेखन
चढ़ा मूल्य आसमान पर ,
केशर की तरह ....सूंघें या खाएं ?
बिल्कुल सही कहा है आपने...
इस मंहगाई ने
लोगों की तोड़ डाली कमर
चलें तो चलें कैसे
अब तो सीधे होने का भी डर !
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