निहारिका का आगमन ,
लिए हजारों डिग्री का तापमान ,
बरसाती अग्नि ,भाष्मित कर देने को आतुर ,
सजी सुन्दर, ममतामयी अचला, के आँचल को /
अनियंत्रित भटके , छुद्र - पुंज ,
को शायद नहीं पता !
इस धरा ने झेले कितने प्रहार ,आघात
समाहित हो गये अनंत युग ,सृश्ठियाँ /
अचल है आज भी , श्रृष्टि - समर्थ ,
देने को प्यार /
,सजाती है नवल गीत , नव सुर निरंतर /
अथाह , सागर जल -राशि ,शीतल मलय ,
उद्दत रहते हैं , प्रतिरक्षा में सतत /
कर्कस द्रूत्मान ,अवसाद में उतरती गयी ,
क्षरित होती गयी,
शांत नीरव निलय में तिरोहित ,
हो गया शोर ,अनल का ढूह ,
रक्त-पुंज सा तेज ,
निस्तेज ,तब्दील हो गया राख़ में /
बिस्फारित नेत्र ,देख रहे थे ---
प्रचंड -रूप -निहारिका,----घटना क्रम --- ,
मेरी पुत्री ने कहा ----
पापा देखो -एक तारे का
दुखद अंत ........../
उदय वीर सिंह
०६/०१/२०११
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