सम्मान का ,सम्मान देने वालों , सम्मान करते हैं ,
सहा है दर्द बहुत , देने वालों का एहतराम करते हैं --
भरोषा था जिन्हें , मुझ पर इतना , टूट गया हमसे ,
न टूटे वे कभी ,उनके बड़प्पन का हम मान करते हैं -----
दिनमान की ऊँचाई प्यार से वंचित नहीं करती कभी ,
एक हम हैं , झुलस कर चांदनी में , तूफान करते हैं ------
अनमोल प्यार की छाँव में, पाए सारे मुकाम जिसने ,
सम्मान देने की जगह उदय अपमान करते हैं ----
बदनाम हो गया बचाने को , बदनामियों से जिनको ,
वसीयत लिए इल्जाम की , मेरे नाम करते हैं -----
कल्पनाओं की पूंजी से मांग भर लेना ,कहा किसने ?
दस्तावेज बनते ख्वाब को ही , सब सलाम करते हैं ------
ढूंढ़ लेना किताबों में , बिकता नहीं है प्यार कहीं ,
बिकता है , मोड़ पर , बाज़ार में , उसे सामान कहते हैं -----
उदय वीर सिंह .
१५/०३/२०११
8 टिप्पणियां:
वाह ...हर पंक्ति बहुत कुछ कहती हुई सुन्दर प्रस्तुति ।
दिनमान की ऊँचाई प्यार से वंचित नहीं करती कभी ,
एक हम हैं , झुलस कर चांदनी में , तूफान करते हैं ------
waah, bhawmay karti panktiyaan
ढूंढ़ लेना किताबों में, बिकता नहीं है प्यार कहीं ,बिकता है , मोड़ पर , बाज़ार में उसे सामान कहते हैं
सही कहा आपने बिकने वाले को सामान कहते है , बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ,बधाई
ढूंढ़ लेना किताबों में , बिकता नहीं है प्यार कहीं ,
बिकता है , मोड़ पर , बाज़ार में , उसे सामान कहते हैं -----
बहुत सुन्दर..हर पंक्ति सार्थक और लाज़वाब..आभार
ढूंढ़ लेना किताबों में , बिकता नहीं है प्यार कहीं ,
बिकता है , मोड़ पर , बाज़ार में , उसे सामान कहते हैं -----
बहुत खूब ..सटीक बात कही ..
पूरी रचना ही गज़ब है ...शुभकामनायें आपको !
सुन्दर भावपूर्ण कविता |
आशा
बदनाम हो गया बचाने को , बदनामियों से जिनको ,
वसीयत लिए इल्जाम की , मेरे नाम करते हैं -----
ये तो वक़्त है ... ऐसा अक्सर होता है ....
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