बुधवार, 17 अगस्त 2011

मानदंड


कितने  ऊँचे मापदंड  ,
क्या कहते हैं,  मानदंड  !
विस्तृत ,उपजाऊ  भू -भाग ,
   -- भूखा भारत 
शिक्षा ,ज्ञान  का वाहक ,
    --43%  साक्षरता   /
साहित्य ,कला ,विज्ञानं -
    -- प्रभावहीन   ,
कृषि ,अर्थ ,व्यवसाय  ,
 -- आत्महत्या  की ओर  ,
केंद्रीय मंत्री का बयान-
"योग्यता की कमी  से जूझते ,शिक्षण संसथान ",
 विश्वविद्यालयों का मान,
   "टॉप  30th में भी नहीं स्थान ",
पूज्य-पाद  होने  की  स्थिति में ,
   आई ,आई टी. ,आई आई यम , आयुर्विज्ञान ,
परिणाम  -
आयात पर निर्भर ,
  "तकनीकी ,प्रद्योगिकी ,सुरक्षा सामान ",
    65% आबादी  को झोपड़ -पट्टी  ,
या खुला असमान 
जौ, ग्वार ,बाजरा सावां,देखा नहीं ,
करता हैं,कृषि प्रबंधन ,
तय करता है फसल का दाम ,   
 85% आबादी ख़राब  स्वास्थ्य  की  चपेट   में  ,
पैसे  पर तोलती  डिग्रियां  ,
अब  तौलते  रोगी व रोग  को  ,
कितना  चमका ,और चमकेगा    
ये   देश  !
उच्च -शिक्षा , इलाज  हेतु  ,
आज  भी  जा रहे  विदेश  !
तथा -कथित  ,
निति  नियामकों  !
कब  तक  रहोगे  ,रहस्य  के  आवरण   में  ?
योग्यता  के   नाम  का छल  -
टिकाऊं  नहीं  /
नंगा  हो गया ,
देख  ! भारत  ,
सोमालिया  हो  गया   !
अँधेरे  - उजाले  का फर्क  ,
अमीरी -  गरीबी  का  दर्द  ,
भगत  सिंह - जयचंद का  तर्क , 
समझना होगा  , 
समान अवसर , समान शिक्षा  ,
समभाव  वांछित  ,
पथ - प्रशस्त   करना  होगा  / 
प्राइवेट लिमिटेड  कम्पनी नहीं भारत , 
मंदिर है ,
भारतियों का 
सर्वोच्च ,वलिदान 
आत्मोत्सर्ग का
इतिहास  है, 
इसका ...
                   

                                                 उदय वीर सिंह 

  
                                                  

7 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

मानदण्डों पर खरी उतरती हुई रचना!
वैसे यदि लाइनों को अलग-अलग काटकर न लिखा जाए तो यह आलेख भी बहुत सुन्दर है!

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

योग्यता के नाम का छल -
टिकाऊं नहीं /
नंगा हो गया ,
देख ! भारत ,
सोमालिया हो गया !


तीखा कटाक्ष करती रचना साधुवाद !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति

ZEAL ने कहा…

.

भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है , लेकिन आज की दुखद स्थिति आपकी रचना में बखूबी बयान की गयी है । गलत हाथों में कमान है देश की ।

कभी-कभी ब्लौग पर पहुँचने में देर हो जाती है , इसके लिए खेद है । क्षमाप्रार्थी हूँ।

.

सदा ने कहा…

वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

Sunil Kumar ने कहा…

फिर भी मेरा भारत महान
तीखा कटाक्ष ,अच्छी प्रस्तुति......

Anita ने कहा…

भारत , मंदिर है ,
भारतियों का सर्वोच्च ,वलिदान आत्मोत्सर्ग काइतिहास है,
इसका ...
बहुत सुंदर और उच्च भावों को आधार बनाकर लिखी गयी रचना.. आभार!