अब धियाँ दी लोड़ी .....|
लोड़ी [लोहड़ी] की मेरे हमवतन ,
हमदर्दों को लख - लख बधाईयाँ जी !
****
****
खुशियों की रंगत कभी कम न हो
कुछ हम गाते हैं ,कुछ सुनाओ मुझे ,
मेरी समिधा,तुम्हारी भी मिल के जले
हर बला कह उठे कि जलाओ मुझे-
*
रंग लोई का फीका नहीं, सुर्ख हो,
हर मुकद्दर का दर पाए इतनी ख़ुशी
बेटी मांगती है लोड़ी में बलैयाँ
भैया की ख़ुशी में है अपनी ख़ुशी-
हसरत में उसकी कहीं कुछ छिपा है
कुछ हमसे सुनो कुछ बताओ मुझे -
नवाजा है जिसने सिर पर ताज को ,
हर नजर से बचाने का हरकारा है
गाली में मुहब्बत की चासनी है ,
वीर का देखा दुःख तो जीवन वारा है
युगों तक रहे चंबा लोड़ी दा माये
अब धियाँ दी लोड़ी जलाओ कदे-
- उदय वीर सिंह
8 टिप्पणियां:
प्यारी अभिव्यक्ति...
लोहड़ी की लख लख बधाईयाँ...
सादर
अनु
बहुत सुन्दर रचना ...लोहिड़ी व मकर संक्रांति पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
मकर संक्रान्ति के अवसर पर
उत्तरायणी की बहुत-बहुत बधाई!
युगों तक रहे चंबा लोड़ी दा माये
अब धियाँ दी लोड़ी जलाओ कदे-
बाहर सुंदर पेशकश इस लोहड़ी पर.
लोहड़ी, पोंगल, मकर संक्रांति और बिहू की बधाइयाँ.
बढ़िया रचना!
लोहड़ी दी लख-लख वधाइयाँ!:)
बढ़िया रचना!
लोहड़ी दी लख-लख वधाइयाँ!:)
लोहड़ी की ढेरों बधाइयाँ आपको..
मनभावन अभिव्यक्ति |मकर संक्रांति पर हार्दिक शुभकामनाएं |
आशा
एक टिप्पणी भेजें