मंगलवार, 26 मार्च 2013

गोरी मलंग हो गयी-


फाग आया की  कुड़ते  में फूल आ गए ,
धानी कुडती  भी फूलों का घर हो गयी -

पोरी गन्ने  सी  रस  में लचक  माधुरी 
देह    मतवारी   डारी   सुघर  हो  गयी- 

रस - मदन  वस  गया  अंग प्रत्यंग में,
प्रीत  फूलों  की   डोरी  पतंग  हो   गयी -


मैल  धुल जाये दिल  की  रंग  बर्साईये   
रात  काली  गयी , अब सहर  हो  गयी-  


अब   तो   रंगों   के   हम ,रंग  मेरे  हुए
उदय    होरी -  गोरी    मलंग   हो  गयी-
                         
                                 - उदय वीर सिंह    


10 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

अब तो रंगों के हम ,रंग मेरे हुए
उदय होरी - गोरी मलंग हो गयी-

बहुत उम्दा सराहनीय रचना, उदय जी ,
होली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाए,,,
Recent post : होली में.

Rajendra kumar ने कहा…

बेहतरीन रचना,होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत रचना...होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

होली की हार्दिक शुभकामनाएं
आपकी यह पोस्ट कल चर्चा मंच पर है

संध्या शर्मा ने कहा…

सुन्दर रचना ... होली की बहुत-बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनायें ....

Madabhushi Rangraj Iyengar ने कहा…

एक प्यारी रचना... मुबारक.

Madan Mohan Saxena ने कहा…



हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार भावसंयोजन .आपको बधाई.होली की हार्दिक शुभ कामना .


ना शिकबा अब रहे कोई ,ना ही दुश्मनी पनपे
गले अब मिल भी जाओं सब, कि आयी आज होली है

प्रियतम क्या प्रिय क्या अब सभी रंगने को आतुर हैं
हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है .

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह उदय जी ... लाजवाब कलाम है ... होली की सुंदरता उसके अंग प्रत्यंगों से हो तो है ..
आपको होली की मंगल कामनाएं ..

Pratibha Verma ने कहा…


बहुत सुन्दर।। होली की हार्दिक शुभकामनाएं
पधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अहा, रंगमय होली..