मितरां किसी भी राग का रागी नहीं हूँ मैं
कहता हूँ अपनी बात , बागी नहीं हूँ मैं -
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निशान दिख रहे हैं, अपनों ने है दिया
दागा गया हूँ यार , दागी नहीं हूँ मैं -
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सच बोलने का हमसे गुनाह हो गया,
कैसे कहेंगे हम , अपराधी नहीं हूँ मैं-
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हर्फों में दिल की धड़कन, होती नहीं बयां,
सुनाता हूँ दिल की बात ,किताबी हूँ मैं -
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मैकदे का देखने जाता हूँ मैं मिजाज
साकी को देखता हूँ ,शराबी नहीं हूँ मैं-
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--- उदय वीर सिंह