शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

पूंजी-निवेश

पूंजी-निवेश
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आपने पैदा की है पुत्री 
पुत्र  का दर्द क्या होता है  ,
आप उससे अनजान हैं ,
रात- रात भर सोये नहीं हैं 
उसकी परवरिस में कौन सा गम ढोए नहीं हैं .....
बिमारी में दवा की है ,
खुशहाली के लिए दुआ की है 
फसादों में गाडफादर की भूमिका
अदा की है ......|
पालन -पोषण में कोई कमी नहीं छोड़ी है 
बेटे ने अपने हाथ से रोटी नहीं तोड़ी है  
मिर्जई पहना,सूखी रोटी खाए हैं     
फेल हो जाता था ,नाजुक हाथ लिख नहीं पाते थे,
मोटी रक़म लगी ,परीक्षा पास कराये हैं |
कौन नहीं जनता ,
नौकरी कैसे मिलती है  ...?
तब बेटे को कामयाब बनाये हैं.....|
पूंजी लगायी है 
आज हमारे दिन आये हैं ,
आखिर हम दे रहे हैं 
नाम, कुल ,गोत्र ,घर व वर .......
स्पष्ट मेरा सन्देश है ,
दुल्हन बाद में ,
पहले दहेज़ है .....|
मेरा बेटा,
मेरा पूंजी -निवेश है ......|

                  -- उदय वीर सिंह .






3 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

स्पष्ट मेरा सन्देश है ,
दुल्हन बाद में ,
पहले दहेज़ है .....|
मेरा बेटा,
मेरा पूंजी -निवेश है ......|
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
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