जिंदगी तू नए सवाल देना
मिल सकें उनके जबाब देना
ढूंढ़ने को ताउम्र मकसद कोई
रास्ते लाजवाब देना-
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यूँ तो हर तरफ नागफनी ही
उगे दिखाई पड़ते हैं,
खुरदरी जमीन में ही कहीं
खिलता हुआ गुलाब देना-
***
कोई दिलचस्प आईना जो
दिल से बात करता हो
झूठे रिश्तों की फेहरिस्त में
एक सच्चा ख्वाब देना-
***
उतर जाना मेरी मुडेर पर
आहिस्ता शबनमीं दबे पांव,
शोर बहुत है गली में नक्कारों का
फिर भी मुझे हौले से आवाज देना -
- उदय वीर सिंह
6 टिप्पणियां:
जीवन से है चाह अनोखी,
क्या लाये, सीमित सा तन मन।
बढ़िया है आदरणीय-
बहुत भावपूर्ण ...उत्तम रचना ...!!कई बार पढ़ी ....
शुभकामनायें ....
बहुत खूबसूरत खयाल
बेहतरीन रचना....
बहुत सुंदर, अच्छी रचना
बहुत सुंदर
मेरी कोशिश होती है कि टीवी की दुनिया की असल तस्वीर आपके सामने रहे। मेरे ब्लाग TV स्टेशन पर जरूर पढिए।
MEDIA : अब तो हद हो गई !
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/media.html#comment-form
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