लीरा -लीरा
हो पतझर भी लीरा -लीरा
मुस्कान अधरों पर लाओ तो -
लहराएगी बेल मरू में
सरित प्रवाह को लाओ तो -
गाएगी कोकील मधुर गीत
ऋतू बसंत की लाओ तो-
ह्रदय- कलश में विष क्यों भरना
हिय प्रेम-सुधा सरसाओ तो-
महकेगा आँगन गली कुञ्ज
पादप प्रसून लगाओ तो -
अतृप्त- धरा मानस भीगेगा
सावन स्नेह बरसाओ तो -
रस-रस कोपल-प्रीत बढ़ेगी
संकल्पित बीज लगाओ तो -
उदय वीर सिंह
3 टिप्पणियां:
'रस-रस कोपल-प्रीत बढ़ेगी
संकल्पित बीज लगाओ तो'
बेहद सुन्दर!
वाह, शब्दों की रिमझिम बरसाती पंक्तियाँ
बढिया, बहुत सुंदर
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