सदैव की भांति आज भी गुरु शिक्षकों का हृदय से वंदन -
स्पंदन गुरु जीवन के
शत- शत बार तेरा वंदन ...
आलोक तिमिर में संजीवन
अभिनन्दन है अभिनन्दन
टूटे कारा , अज्ञान दर्प की
प्रज्ञा बसती है मानस में
युग्म स्नेह के बनते हैं,
खिलते प्रसून वन-कानन में-
अभ्नव शिल्प के अग्रदूत
मंगलमय तुमसे जीवन -
संवेदन आचार निहित
विहित होती गरिमा तुमसे
संस्कार संस्कृति पथ शुचिता
मधु सरिता बहती तुमसे -
आकार नियंत्रण सृजन सौम्य
बस जाता बंजर निर्जन -
नील गगन, बसुधा तल में
चक्षु तेरे प्रहरी सम हैं
देश , दिशा, कालों के ब्रती
निर्देश अशेष नित निर्मल हैं -
जग सोये तू ,जाग्रत है
युग पावन सद्द अंतर्मन -
उदय वीर सिंह
स्पंदन गुरु जीवन के
शत- शत बार तेरा वंदन ...
आलोक तिमिर में संजीवन
अभिनन्दन है अभिनन्दन
टूटे कारा , अज्ञान दर्प की
प्रज्ञा बसती है मानस में
युग्म स्नेह के बनते हैं,
खिलते प्रसून वन-कानन में-
अभ्नव शिल्प के अग्रदूत
मंगलमय तुमसे जीवन -
संवेदन आचार निहित
विहित होती गरिमा तुमसे
संस्कार संस्कृति पथ शुचिता
मधु सरिता बहती तुमसे -
आकार नियंत्रण सृजन सौम्य
बस जाता बंजर निर्जन -
नील गगन, बसुधा तल में
चक्षु तेरे प्रहरी सम हैं
देश , दिशा, कालों के ब्रती
निर्देश अशेष नित निर्मल हैं -
जग सोये तू ,जाग्रत है
युग पावन सद्द अंतर्मन -
उदय वीर सिंह
4 टिप्पणियां:
वंदन गुरुचरणों में, साकार कर दिया शब्दों ने!
बहुत सुन्दर
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गुरु के सम्मान में सुन्दर कविता
वन्दे श्री गुरुवे नमः
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