दिल में नफ़रत हाथ में सपोला है
मोहब्बत भी है तिजारत की तरफ -
आ रही है गेंद बालर की तरफ -
पाउंड की अब लालसा है ह्रदय में
रूपया छोड़ हाथ डालर की तरफ-
सन्देश में है फूल की जगह खंजर
वन्दगी छोड़ ,हाथ कालर की तरफ-
गीत नहीं शोकगीतों की आमद है,
कान खड़े हैं , हर आहट की तरफ -
अंदर बार सजे हैं नाजनी की तरह
पेट का सवाल है ,बाहर की तरफ -
हर्फ़ किताबों के कुछ मायने कुछ और
शायद हो गए हम राहे-कायर की तरफ -
- उदय वीर सिंह .
5 टिप्पणियां:
पाव पाव दीपावली, शुभकामना अनेक |
वली-वलीमुख अवध में, सबके प्रभु तो एक |
सब के प्रभु तो एक, उन्हीं का चलता सिक्का |
कई पावली किन्तु, स्वयं को कहते इक्का |
जाओ उनसे चेत, बनो मत मूर्ख गावदी |
रविकर दिया सँदेश, मिठाई पाव पाव दी ||
वली-वलीमुख = राम जी / हनुमान जी
पावली=चवन्नी
गावदी = मूर्ख / अबोध
वाह! क्या बात है! फिर आई दीवाली
आपको दीपावली की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
सुन्दर प्रस्तुति।
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प्रकाशोत्सव के महापर्व दीपादली की हार्दिक शुभकानाएँ।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति !
दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाए...!
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RECENT POST -: दीप जलायें .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (04-11-2013) महापर्व दीपावली की गुज़ारिश : चर्चामंच 1419 "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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दीपावली के पंचपर्वों की शृंखला में
अन्नकूट (गोवर्धन-पूजा) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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