रविवार, 23 फ़रवरी 2014

आभार आपका ..

प्रिय मित्रों ! ,बुद्धजीवियों आप ने वो मुझे मुकाम  दिया,  दिलों में बसाया ,हृदय से आभारी हूँ  |
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मैं कहाँ हूँ मेरा किधर है रास्ता
ये मुझे नहीं मालूम ,
और तेरी फितरत है मुझे रास्ता बताने की......

                             -  उदय वीर सिंह


3 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आप दिल में बसाने के काबिल ही हैं ... नमस्कार ...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आप दिल में बसे रहें।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

कभी किसी और के दिल में क्या है भी तो देखिये जनाब मेरे घर ना आइये गिला नहीं है किसी के घर तो जाइये :)