हर पथ में हैं सवाल, पर जबाब भी भरे हैं
दरख्तों को देख कैसे, आँधियों में खड़े हैं -
बुझाने की कोशिशों में मशगूल रहा रकीब,
चिराग हौसलों के , हर तूफान में जले हैं -
कायम हैं वो निशान , जो वापस न हो सके
वो मुकाम दे गए ,जहाँ से आज हम चले हैं-
एक सवाल के बहाने ,तेरा साथ चाहिए था
लहू का रंग एक है, एक इंसान हमवतन हैं -
- उदय वीर सिंह
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