सहारा में सावन बरसता नहीं क्यूँ
आँखों में आंसू ,ठहरता नहीं क्यूं -
नीर कितने जनम से ,ढ़ोती नदी है
ये सागर भी न जाने भरता नहीं क्यूँ -
मौन प्रतिविम्ब है कहता नहीं क्यूं
झील ठहरी हुई नीर बहता नहीं क्यूं -
प्रीत की रीत में कोई ढलता नहीं क्यूं
दर्द के गांव में कोई बसता नहीं क्यूं -
पीर किश्तों में बढ़कर हिमालय हुई
ये पर्वत न जानें पिघलता नहीं क्यूँ -
- उदय वीर सिंह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें