उन्नयन (UNNAYANA)
बुधवार, 30 जुलाई 2014
ग़ुम हुए तुम .....
ग़ुम हुए तुम .....
वक्त
कितना देता है
क्या देता है
कब और क्यों देता है,
इसका गिला नहीं मुझे ,
बेवक्त छीन लेता है बेदर्द
गिला भी न करूँ
तो गुश्ताखी होगी .......
उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
Smart Indian
ने कहा…
अफ़सोस!
30 जुलाई 2014 को 11:42 am बजे
मनोज कुमार
ने कहा…
गिला करना बनता है।
31 जुलाई 2014 को 12:28 am बजे
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2 टिप्पणियां:
अफ़सोस!
गिला करना बनता है।
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