पथ प्रतीक्षित कामना के
प्रीत को आकार दे दो -
मधु अधर, मृदु कंठ में है
मद गीत को आभार दे दो -
हो सुवासित नभ क्षितिज नित
बीज को आधार दे दो -
क्लांत मन अवसाद त्यागे
वेदना को प्यार दे दो -
प्रमाद की विष ग्रन्थियां तज
पथ विषम सहकार दे दो -
सज उठेंगे नैन सूने
स्वप्नों का संसार दे दो -
- उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर सर धन्यवाद !
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आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 18 . 9 . 2014 दिन गुरुवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
Waah...bahut zabardast rachna.. Prastuti ke liye baadhayi!!
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