देख ! तेरी वाल पर
गंदगी का अंबार ही अंबार
दिखाई देता है ।
दर्द,खुले जख्म, मुफ़लिसी ,यतिमी, लचारगी
आँसू ,फरियाद का कूड़ा है ।
स्वच्छता अभियान जारी है
क्यों नहीं लगा लेते ,
बर्मीघम शायर के परिधान
अल्जीयर के ट्यूलिप
रूसी गुलाब ........।
प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है कुछ तो सोच
जैसा है वैसा दिखना,
नहीं चाहिए.।
दर्द में पैदा हुआ है तूँ,
दर्द के सिवा और क्या चाहिए ...?
पी ले शुद्ध गंगा जल
भूख को छिपाने का हुनर चाहिए ....
तू कितना अनाड़ी है ,
हम चाँद पर जाने वाले हैं
और तुझे जमीं
चाहिए ..........।
उदय वीर सिंह
गंदगी का अंबार ही अंबार
दिखाई देता है ।
दर्द,खुले जख्म, मुफ़लिसी ,यतिमी, लचारगी
आँसू ,फरियाद का कूड़ा है ।
स्वच्छता अभियान जारी है
क्यों नहीं लगा लेते ,
बर्मीघम शायर के परिधान
अल्जीयर के ट्यूलिप
रूसी गुलाब ........।
प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है कुछ तो सोच
जैसा है वैसा दिखना,
नहीं चाहिए.।
दर्द में पैदा हुआ है तूँ,
दर्द के सिवा और क्या चाहिए ...?
पी ले शुद्ध गंगा जल
भूख को छिपाने का हुनर चाहिए ....
तू कितना अनाड़ी है ,
हम चाँद पर जाने वाले हैं
और तुझे जमीं
चाहिए ..........।
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर
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