तेरी हनक के गुब्बार में गर
तेरी आवाज सुनाई दे
तलाशे वजूद भी जारी रखना -
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पकड़ मजबूत रख दस्ते शमशीर की
ये उसी की होती है
जिसके हाथ में होती है -
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उसके हाथ में छैनी हथौड़ी गैंतीयां हैं
राजमहल बनाता है
जब थाम लेगा कलम
संविधान भी बना सकता है -
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वो ठहरा है राहे मजिल इंतजार करने दो ,
शायद उसे जरूरत हो
हमकदम हमसफर की -
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दरख्त का शिखर भी सोचता
के जड़े दफन हैं
तो सिर्फ उसके वजूद के जानिब -
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वो गया तो न लौटा कभी तेरे दर
तूने कांटे दिये या फूल
ये तुम जानो -
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किसी की मुकद्दर पे तुम्हें रोना आए ,
के पहले अपनी मुकद्दर का
माजी देखो -
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सृष्टि की अनमोल सहचरी
सेवा के आँगन कानन
सुख-दुख निज विस्मृत करती
पर सेवा में आभारी है
के पहले अपनी मुकद्दर का
माजी देखो -
***
सृष्टि की अनमोल सहचरी
सेवा के आँगन कानन
सुख-दुख निज विस्मृत करती
पर सेवा में आभारी है
2 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार को
दर्शन करने के लिए-; चर्चा मंच 1893
पर भी है ।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
एक से बढ़कर एक अशआर।
सीधी-सपाट बयानी द्वारा वक्रोक्ति का पूरा बौद्धिक सुख भरा है हर अशआर में।
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