तुम श्रद्धा हो .....
पूजा हो
प्रतिफल हो
विस्वास अटल ..
श्रद्धा हो
निष्ठा हो अविचल
शक्ति
वत्सला स्नेह
निर्मल मन
अभिव्यक्ति
सृजन की सृष्टि की ....
प्रतिमूर्ति
दया की करुणा की ....
संभावना
असीम
कल्याण की कृपा की...
नारी !
तुम भी कुछ कह दो
क्या हो ...
क्यों हो अबूझ
खोल रहस्य
मत हो मौन ...
नारी !
तुम श्रद्धा हो ..... ।
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