निषेचित होता है प्रभात
तमस के गर्भ में-
राजीव आकार पाता है
राजीव आकार पाता है
कलुष कीच के गर्त में -
ज्योत्सना अभिसरित होती है
निहारिका के अंतस्थल से -
क्रांतियाँ कोख पाती हैं
निशिद्धता दमन के संघर्ष में -
कभी पीड़ा नैसर्गिक होती नहीं
सृजित होती है उत्कर्ष में -
उदय वीर सिंह
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