दिल की ख्वाहिसें कुछ और हैं
जिधर हवा का रुख बह लेते हैं -
चोट जाहिर नहीं है दर्द बेइंतिहा.
कम हो कि करवट बदल लेते हैं -
देख मासूम मायूस बीबी माँ बाप
बेगुनाह भी गुनाह कबूल लेते हैं -
मंदा समाजशास्त्र प्रखर गणित
कर्ज से पहले व्याज वसूल लेते हैं -
कुछ इस तरह वफा मर रही है कि
रोटियों के लिए जिगर बदल लेते है -
उदय वीर सिंह
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