बुत की प्राण प्रतिष्ठा
है
सड़कों पर जीवन रोता है -
अर्पित करते अर्थ द्रव्य
कहीं जीवन भूखा सोता है -
रोज बदलते परिधान स्वर्ण
कहीं जीवन नंगा होता है -
बहती धार पय घृत अमृत की
जीवन आँसू पीता है -
भाग्य जन्म का दोष समझ
जीवन अभिशापित जीता है -
पत्थर में जीवन की आशा
कहीं जीवन पत्थर होता है -
उदय वीर सिंह
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