शनिवार, 24 अक्तूबर 2015

किसी की वंदगी को देख


















 



है मौत की अमानत 
हँसती जिंदगी को देख -
ढूँढता है दूसरों में पहले
अपनी गंदगी को देख -
कुफ़्र की चिंता तुम्हें है
किसी की सादगी को देख -
तुम खड़े हो शमशीर लेकर
किसी की वंदगी को देख -


उदय वीर सिंह


3 टिप्‍पणियां:

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन प्रस्तुति, आभार आपका।

Kailash Sharma ने कहा…

तुम खड़े हो शमशीर लेकर

किसी की वंदगी को देख -

...वाह...बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...

Onkar ने कहा…

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