सोमवार, 14 दिसंबर 2015

क्या लिखोगे सुखनवर ....

क्या लिखोगे सुखनवर पहले 
किसी सुख़न का अधिकार बन 
तमाशाई है ये दुनियाँ पहले 
किसी तमाशा का किरदार बन -
जिंदगी कोई जुमला नहीं है 
डूबती किश्ती का पतवार बन 
पीछे होती है जमात कलम आगे
काफिले का सरदार बन  -
पढ़ी जाती हैं खून से लिखी दासतां
खुद की कुर्बानी की तलवार बन -....

उदय वीर सिंह 

1 टिप्पणी:

Digvijay Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 15 दिसम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!