देश का संबिधान एक है
किसी को घास की रोटी
किसी को मक्खन ब्रेड है
अभिशप्त बेचने को बिक जाए
जो कुछ भी रहा अवशेष है -
सोने की चिड़िया का आज
प्रदर्शित भग्नावशेष है -
सियासत अब पूजा नहीं
मसखरी हो गई है
कहीं भूख से मरते लोग कहीं
करोड़ों का कटता केक है -
किसी को घास की रोटी
किसी को मक्खन ब्रेड है
अभिशप्त बेचने को बिक जाए
जो कुछ भी रहा अवशेष है -
सोने की चिड़िया का आज
प्रदर्शित भग्नावशेष है -
सियासत अब पूजा नहीं
मसखरी हो गई है
कहीं भूख से मरते लोग कहीं
करोड़ों का कटता केक है -
झूठे आदर्श सत्य का सूर्यास्त
जीवन पर लाशों का अभिषेक है
उदय वीर सिंह
उदय वीर सिंह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें