मंगलवार, 26 जनवरी 2016

सोचा न था -



भारतीय जनमानस को गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या पर हार्दिक बधाई !
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गणतन्त्र कुछ लोगों का होकर रह जाएगा
ऐसा सोचा न था -
गणतन्त्र कार्यालय समितियों तक रह जाएगा 
ऐसा सोचा न था-
गणतन्त्र के स्तंभों को दीमक चाट जाएगा
ऐसा सोचा न था -
राजतंत्री चक्रव्युह के गाल मेँ समा जाएगा
ऐसा सोचा न था -
प्रजातंत्र ने सींचा खून से हासिए पर आ जाएगा
ऐसा सोचा न था -
सभी अपने झंडे की रखवाली मेँ तिरंगा जमीं पर आ जाएगा
ऐसा सोचा न था -
उदय वीर सिंह

3 टिप्‍पणियां:

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " ६७ वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति जी का संदेश " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Dr ajay yadav ने कहा…

सार्थक रचना

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

गणतन्त्र में पनपी ये वक्रतायें दूर हों काश।