खुद्दार की हसरत है शहादत
मोल गद्दार लगाया करते हैं -
वीर न्योछावर होते वलिवेदी
सिर गद्दार झुकाया करते हैं -
जिस माँ के आँगन प्यार मिला
मोल वफादार निभाया करते हैं
अहसान वतन का इतना है
उदय सौ जन्म लुटाया करते हैं -
छोड़ चले द्वार शहनाई बजती
नाहर रण शीश कटाया करते हैं -
रहे सलामत सोने की चिड़िया
वलिदानी नीड़ बनाया करते हैं -
उदय वीर सिंह
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