शनिवार, 14 मई 2016

हर नुमाइंदा हमनाम दिखता है -

कफन के नाम पर  भी नफा नुकसान दिखता है 
रंग खून का एक है पर छोटा बड़ा इंसान दिखता है 
रोटी कपड़ा मकान का प्रश्न सदियों से उबल रहा 
फुटपाथ पर इंसान, महलों में भगवान दिखता है -
तय न हो पाईं प्राथमिकताएँ  दौरे समाजवाद भी 
कितना पूर्वाग्रह से ग्रस्त सियासतदान दिखता है -
जरूरत तो सबको है शिक्षा सुरक्षा विकाश गंगा की 
परिभाषाओं की अलग अलग देगची में हिंदुस्तान दिखता है -
कुदरत ने तो इंसाफ किया पंचभूतों को बख़्श कर 
कमाल ये है की उनपर भी बंदों  का नाम दिखता है -
दल दल में भरी  भारी भीड़ है मौक़ापरस्तों की 
किस किस का नाम लूँ हर नुमाइंदा हमनाम दिखता है -

उदय वीर सिंह 




1 टिप्पणी:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 15 मई 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!