माई तेरे गाँव में कुछ लोग आए हैं
हाथों में नगाड़े और ढ़ोल लाये हैं -
जिह्वा पर मिश्री और आँखों में सनेह है
चिट्टे चमकते चोले ओढ़ आए हैं -
कहते फरिश्ते रब के मुक्ति के द्वार हैं
मोक्ष मिल सकेगा पथ अनमोल लाये हैं-
थैले में जाल है कांटे और कांटे कटार हैं
सिने पर लगाए गुल गुलाब लाये हैं -
भूखा जनमानस थिरके जुमलों की राग पर
सुनी निगाहें दिल तोड़ आए हैं -
वादों में स्वर्ग की उसारते हैं सीढ़ियाँ
सोने की गागर में विष घोल लाये हैं -
उदय वीर सिंह
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