शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

काला मन -काला धन

काले मन का कितना काला धन-
ढ़ो रहे सिर पर सूरज उजाले का
सजा स्वेत पुष्पों का धवल उपवन
हो अनाथ करता नाथ से विनती
मेरी छाया भी कर दो कंचन -
महा श्वेत वसन उच्च व्याख्यान
च्युत न्याय नैतिक आदर्श चिंतन
सौम्य शांत श्रद्धा विश्वास के आवरण
ओढ़  छल करता समाज से कलुष मन -

उदय वीर सिंह 



2 टिप्‍पणियां:

Asha Joglekar ने कहा…

उजागर कर दो तो काया हो जायेगी कंचन।

Onkar ने कहा…

बढ़िया