बाल दिवस उन चार साहबजादों [ अमर वलिदानी बाबा अजित सिंह ,बाबा जुझार सिंह बाबा जोरावर सिंह बाबा फतेह सिंह पुत्र गण गुरूपिता दसवे पतशाह गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज ] को समर्पित । दो साहबजादे चमकौर की जंग में वीरगति पाये , दो साहबजादे लाहौर मे दीवार में चुने गए,वीरगति को प्राप्त हुये । जब तक स्वांस रही संस्कृति -संस्कार अक्षुण रहे । कोटिशः नमन अद्वितीय बालंकों को ।
बाल दिवस अर्थतः संस्कृति- संस्कार के वाहकों,वारिसों का दिवस जिनमें संचित है देश ,समाज का सुनहरा भविष्य आवश्यकता है उन्हें भेद- भाव मुक्त ,पीत, न्याय युक्त, पारदर्शी स्नेहिल प्रेम से सराबोर वातवरण देने की ,उनके अप्रतिम अद्वितीय अतीत को नवल परिवेश परिदृश्य में मंडित करने की । ईमानदारी से उनके गौरवमयी शौर्य व आदर्श गाथा को आद्यतन नवल कोपलों में अंतरित करने की । यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी उन अमर प्रतापी वीर शहीद बालकों को ।
उदय वीर सिंह ।
बाल दिवस अर्थतः संस्कृति- संस्कार के वाहकों,वारिसों का दिवस जिनमें संचित है देश ,समाज का सुनहरा भविष्य आवश्यकता है उन्हें भेद- भाव मुक्त ,पीत, न्याय युक्त, पारदर्शी स्नेहिल प्रेम से सराबोर वातवरण देने की ,उनके अप्रतिम अद्वितीय अतीत को नवल परिवेश परिदृश्य में मंडित करने की । ईमानदारी से उनके गौरवमयी शौर्य व आदर्श गाथा को आद्यतन नवल कोपलों में अंतरित करने की । यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी उन अमर प्रतापी वीर शहीद बालकों को ।
उदय वीर सिंह ।
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