घरों में आज भी देखो ताले लगाने होते हैं
नजरबट्टू मुंडेरों पर शैतान बिठाने होते हैं -
दर पे जरूरतमंद कोई, इंसान न आए
खबरदार कुत्तों से फरमान लिखाने होते हैं -
मसर्रत देने वाले भी कैद तालों में होते हैं
देव, देवालय दोनों पर पहरे लगाने होते हैं -
कहीं हम छोड़ आए हैं संस्कृति संस्कारों को
पहले राष्ट्र होता था अब धर्म बताने होते हैं -
उदय वीर सिंह
नजरबट्टू मुंडेरों पर शैतान बिठाने होते हैं -
दर पे जरूरतमंद कोई, इंसान न आए
खबरदार कुत्तों से फरमान लिखाने होते हैं -
मसर्रत देने वाले भी कैद तालों में होते हैं
देव, देवालय दोनों पर पहरे लगाने होते हैं -
कहीं हम छोड़ आए हैं संस्कृति संस्कारों को
पहले राष्ट्र होता था अब धर्म बताने होते हैं -
उदय वीर सिंह
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