सोमवार, 7 नवंबर 2016

छोड़ आए हैं संस्कृति संस्कारों को .....

घरों में आज भी  देखो ताले लगाने होते हैं 
नजरबट्टू मुंडेरों पर  शैतान बिठाने होते हैं -
दर पे जरूरतमंद कोई, इंसान न आए 
खबरदार कुत्तों से फरमान लिखाने होते हैं -
मसर्रत देने वाले भी कैद तालों में होते हैं 
देव, देवालय दोनों पर पहरे लगाने होते हैं -
कहीं हम छोड़ आए हैं संस्कृति संस्कारों को 
पहले राष्ट्र होता था अब धर्म बताने होते हैं -

उदय वीर सिंह 





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