तू नशे में था
तेरे घर की आबरू
नीलाम हो गई -
तू नशे में था
तेरी ड्योढ़ी बदनाम हो गई -
तू नशे में था
सुबह में ही शाम हो गई -
तेरी ही नहीं अपनों की मौत
तेरे नाम हो गई -
तू नशे में था
संस्कारों की हवेली
शमशान हो गई -
तू नशे में था
बहुत पर्दे में थी हया
सारेआम हो गई -
उदय वीर सिंह
तेरे घर की आबरू
नीलाम हो गई -
तू नशे में था
तेरी ड्योढ़ी बदनाम हो गई -
तू नशे में था
सुबह में ही शाम हो गई -
तेरी ही नहीं अपनों की मौत
तेरे नाम हो गई -
तू नशे में था
संस्कारों की हवेली
शमशान हो गई -
तू नशे में था
बहुत पर्दे में थी हया
सारेआम हो गई -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (29-01-2017) को "लोग लावारिस हो रहे हैं" (चर्चा अंक-2586) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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