आह वैलेंटाइन ! वाह वैलेंटाइन !
वैलेंटाइन दिवस अपसंस्कृति का प्रतीक लगता है
फरेबी गुजारता है रात नगरबधू संग रईस लगता है
चुभलाता है होठ रात के अँधेरों मे रसीले लगते हैं
दिन के उजालों में नर्क का द्वार घोषित करता है -
वैलेंटाइन दिवस अपसंस्कृति का प्रतीक लगता है
फरेबी गुजारता है रात नगरबधू संग रईस लगता है
चुभलाता है होठ रात के अँधेरों मे रसीले लगते हैं
दिन के उजालों में नर्क का द्वार घोषित करता है -
उदय वीर सिंह
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