बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

जरूररी नहीं हर वस्तु संगमरमरी हो

गोंद किसी की भी हो भरी हो 
तबीयत किसी की हो हरी हो 
खुशियाँ बाँट लेने में दर्द क्यों 
दर्द किसी का हो आखिरी हो -
किसी के लिए मांग कर मौत 
तुम्हें अमरत्व तो नहीं मिलता 
अरदास होनी चाहिए रब से वीर 
लोड़बंदों की हर हसरत पूरी हो -
काला भी रंग है कुदरत का दिया 
जरूररी नहीं हर वस्तु संगमरमरी हो 

उदय वीर सिंह 

कोई टिप्पणी नहीं: