सोमवार, 6 मार्च 2017

जीवन के सफर में तुम रोए

जीवन के सफर में तुम रोए 
हम रोये तो क्या हुआ -
जीवकी डगर ही अंधी है 
दिल खोये तो क्या हुआ 
पाँव थके जब शाम हुई 
गम धोये तो क्या हुआ 
जीवन मे चाहा फूल उगें 
कांटे उगे तो क्या हुआ -
नजरानों का मौसम है 
कुछ पास नहीं तो क्या हुआ 

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