शनिवार, 8 अप्रैल 2017

साये न मिलते हैं, सितारे न मिलते हैं -

दूर करके किश्ती को किनारे न मिलते हैं
छोड़ करके रब का दर सहारे न मिलते हैं
रिश्ते तो मिलते हैं मातब की दुनियाँ में
बापू बेबे के नेहा सा पियारे न मिलते हैं
सरबती दिनों में सोख चश्मों का पानी है
सर्द  भरी रातों में अंगारे न मिलते हैं -
अमावस की रात का आगमन जो होता है
साये न मिलते हैं, सितारे न मिलते हैं -
उदय वीर सिंह

कोई टिप्पणी नहीं: