सोमवार, 7 अगस्त 2017

8 अगस्त 1945 [ हिरोशिमा ]

8 अगस्त 1945 [ हिरोशिमा ]
मनुष्यता के समग्र विनाश का एक अक्षम्य कदम !
परमाणु बम विस्फोट हिरोशिमा में मारे गए लोगों को विनम्र श्रद्धांजलि पीड़ितों से अनन्य सहानुभूति ....
परमाणु बम का प्रथम नगरीय विस्फोट जिसमे मनुष्यता के खुले नरसंहार का विद्रुप प्रदर्शन था जिसमें मनुष्य मात्र नहीं मनुष्यता और संवेदना मरी।
उपनिवेशवाद व उसके प्रसार की अतिमहत्वाकांक्षा मनुष्यता से ऊपर होने का मद कारक बने । 
दुर्भाग्य है मनुष्यता देशों की तथाकथित सुरक्षा ग्रंथि से इतर हो गई है । मनुष्यता जहां मानव विध्वंस के हथियाओं की मुखालफत कर रही है ,वही देशों की लोलुपता अहंकार ग्रंथि ,तथाकथित श्रेष्ठता इसकी वकालत कर रही है ।
राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय बुद्धजीवी अवगत हैं इसके परिणामों से पर कदाचित असमर्थ हैं या उनकी मौन स्वीकृति यह रहस्य का विषय बन गया है ।
आवश्यकता है इन मानव विनाशक घातक हथियारों के निर्माण व प्रयोग पर पूर्णतया प्रतिबन्ध की । वरना जीवनविहीन हो जाएगी ये प्यारी धरती ।
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मिट गई मनुष्यता मनुष्य न रहेंगे
कब्रें तलाशेंगी हमदर्द कोई -
सोया मिलेगा हाथ धर चलने वाला
मुंतजिर न होगे खुले नैन कोई -
करने को सिजदा सिर न मिलेंगे
खंजर तो होंगे सिकंदर न कोई -
उदय वीर सिंह

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