शुक्रवार, 10 नवंबर 2017

जब मुंशिफ अंधा गूंगा बहरा हो
फरियाद बनकर क्या कारोगे -
रोशनी में चिराग बनकर क्या करोगे
आग की नदी आग बनकर क्या करोगे -
जमीन बंजर है बीज बांझ
फिर खाद बनकर क्या करोगे -
कान बंद कर लिए हैं सुनने वालों ने
संवाद बनकर क्या करोगे -
बंधे हों हाथ पैर मुंह आंखे कान
आजाद का खिताब लेकर क्या करोगे -
दिवालिया हो चुकी सल्तनत
खजाना खाली हिसाब लेकर क्या करोगे -
उदय वीर सिंह



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