अधिकारों के झुरमुट बढ़ रहे
फर्ज गुमनाम दिखते हैं
षडयंत्रों की शाला झूठ बुलंद
हासिए पर वलिदान दिखते हैं -
खेतों से अन्न गायब हो रहे
शहरों में किसान दिखते हैं
मजलूम बेबस निरीहों में रावण
पाखंडियों में राम दिखते हैं -
उदय वीर सिंह
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